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शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

हाईकू !

शांत आँखों  में 
छलकते हैं राज 
 पढ़े तो कोई .
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दीप  जले हैं 
प्रकाश खो गया  है 
खोजे तो कोई।
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 सीता वो नहीं 
 अब दुर्गा  हो गयी  
 बच  के रहो .
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वो अबला है 
गलतफहमी है
चंडी भी तो हैं।
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 गंगा शांत है 
प्रलय आ जाएगी 
क्रुद्ध हुई तो। 
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 कम न आंको  
संहारिणी भी है वो
शांत ही रहे 
******* 

11 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

वो अबला है
गलतफहमी है
चंडी भी तो हैं।... तो डरो, सचेत रहो

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन हाइकु

सादर

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

कुछ राहें जिंदगी की इस तरह थी
कि पैरों के छाले साफ़ दिखने लगे |....अनु

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

prabhavshali haaiku

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

अंजू बहुत सुंदर बात कही !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

ganga shant ... pralay kab ayegi..:)
saare behtareen!

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

गागर में सागर !
बेहतरीन हाइकु

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुंदर और अपना प्रभाव छोड़ती हाइकु

Udan Tashtari ने कहा…

वाह जी...बहुत खूब!!

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने आपकी पोस्ट " हाईकू ! " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

बहुत सुंदर और अपना प्रभाव छोड़ती हाइकु

दिगम्बर नासवा ने कहा…

लाजवाब हाइकू है सभी ...