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शनिवार, 15 सितंबर 2012

यदा यदा हि....!

अधर्म , असत्य और अनाचार 
कभी स्वीकार्य नहीं होंगे,
युग के बदलने के साथ 
परिभाषाएं बदल गयीं।
गेरुआ वस्त्र अब 
तप , सदाचार औ' सत्य 
का प्रतीक नहीं रहे।
कल तक रची जाती थी 
महाभारत और लाक्षागृह की  
नींव के बाद 
द्यूतक्रीडा जैसे छल रचे गए।
गीता रची गयी ,
कृष्ण ने अर्जुन के गांडीव में 
शक्ति का संचार कर 
अधर्म के नाश की
भूमिका रची।
आज सिर्फ द्यूत क्रीड़ायें ही बची हैं,
बिना इसके भी 
द्रोपदी लज्जित की जाती है .
नारी की मर्यादा का हरण 
करने वाले अब सिर्फ 
दुर्योधन और दुशासन ही 
नहीं बचे हैं। 
उनकी संतति भी तैयार है .
धृतराष्ट्र  के सौ पुत्रों की संतति .
अब कृष्ण तुम्हें 
क्यों नहीं सुनाई  देती है 
हजारों अबलाओं की पुकार 
चीर हरण के बाद 
मान हरण भी हो रहा है।
कब किसी अर्जुन से कहोगे 
कि 

 अधर्म के लिए चढ़ाओ प्रत्यंचा 

धर्म की रक्षा में 
कोई पितामह,  भ्राता या सखा नहीं 
अधर्म का संहार करो 
धर्म से  पतित 
संहार योग्य है।
धर्म तो धर्म है 
कभी असत्य नहीं हो सकता 
इसके पालन में मानव धर्म 
सत्य धर्म, कृत्य धर्म 
सभी कुछ है।
मोह मिटाकर 
सत्य से साक्षात्कार ही 
इस धरा का जीवन है।
तभी  अधर्म 
तुम्हारे हाथ से 
मेरे साथ  होकर 
इस धरा से मिट पायेगा 




12 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

आपकी रचनाओं में आज का सत्य परिलक्षित होता है, .... बहुर ही सूक्ष्म चित्रण है

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत गहन .... आज के सत्य को उजागर करती अच्छी रचना ।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

http://vyakhyaa.blogspot.in/2012/09/blog-post_16.html

vandana gupta ने कहा…

्बडा गहन विवेचन किया है।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर..
गहन भाव से भरी रचना...

सादर
अनु

ZEAL ने कहा…

Beautiful creation ...Quite realistic.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

Rashmi di ne sach kaha:)

Pallavi saxena ने कहा…

शायद मेरी बात छोटा मुंह बड़ी बात लगे लेकिन मुझे ऐसा लगता है की अब भगवान भी यह समझ गए हैं की इस कलयुग में नारी अब खुद सक्षम इन दुर्योधन और दुशासन का नाश करने के लिए अब शायद जरूरत नहीं किसी अर्जुन के आने की क्यूंकी अब नारी अबला नहीं सर्वशक्ति मान है बस जरूरत है उसके अंदर दबे आत्मविश्वास को जगाने की तो मेरी तो कृष्ण से यही प्रार्थना है की है कृष्ण यदि इस कलयुग में कुछ करना ही है तो बस इतना कर दो की हर नारी को आत्म विश्वास से भर दो...बाकी तो फिर सब अपने आप ही हो जायेगा।

Saras ने कहा…

नारी की मर्यादा का हरण
करने वाले अब सिर्फ
दुर्योधन और दुशासन ही
नहीं बचे हैं।
उनकी संतति भी तैयार है .
कितना घृणित और भयावह सच...रोज़ ऐसी द्रौपदियों के विषय में फ्रंट पेज न्यूज़ छपती है और हम ..थोडा दुखी होकर...पन्ना पलट लेते हैं...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

kaha jata hai ki mahabharat ka yuddh dharm yuddh nahi adharm yuddh tha...kyunki kisi ne bhi nitiyon ka palan nahi kiya ...yahan tak ki krishn ne bhi nahi.

lekin ab agar krishn ko is dharti par adharam ka naash karne k liye aana pada to aur bhi chhali pravarti lekar aana padega kyuki unse bade bade dhoort yahan virajmaan hain.

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

इस समय सारा विश्व कुरुक्षेत्र बन गया है -निरंतर महाभारत चल रहा है ,छल-प्रपंच और दुर्नीतियों का !